परिषद् की ओर से दी जाने वाली अध्येतावृत्तियों की कड़ी में ही वर्ष 2016 में गुरूकुल अध्येतावृति की शुरूआत की गई।
(1) इस अध्येतावृत्ति के अंतर्गत एक गुरू तथा एक शिष्य चयनित होते हैं -
i. गुरु:- भारतीय इतिहास एवं इससे संबंधित विषय के ऐसे वरिष्ठ एवं प्रख्यात अध्येता जिन्हें विषय के संबंध में उत्कृष्ठ ज्ञान प्राप्त हो, गुरु कहे जाएँगे। संभवतः उनकी उम्र 70 वर्ष अथवा उससे अधिक होनी चाहिए ।
ii. शिष्य:- गुरु का शिष्य एक ऐसे शोधार्थी को माना जाएगा जिसने किसी प्रख्यात विश्वविद्यालय से Ph.D की उपाधि प्राप्त की हो अथवा उसी श्रेणी के समकक्ष किसी उच्च श्रेणी के शोधकार्य का प्रकाशन कराया हो ।
(2) अध्येतावृत्ति की राशि निम्नलिखित होगी -
i. गुरू को प्रतिमाह मानदेय के रूप में रु 60,500/-(रु साठ हजार पांच सौ मात्र ) (ICHR की राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति के समान) तथा आकस्मिक अनुदान के रूप में अधिकतम रु 66,000/-(रु छियासठ हजार मात्र) प्रतिवर्ष (ICHR की राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति के समान) की राशि प्रदान की जाएगी।
ii. ICHR के पोस्ट डाक्टोरल फेलोशिप के समान शिष्य को भी अध्येतावृत्ति के रूप में प्रतिमाह रु 30,800 (रु तीस हजार आठ सौ मात्र) तथा आकस्मिक अनुदान के रूप में प्रतिवर्ष रु 22,000/-(रु बाइस हजार मात्र ) प्रदान किए जाएँगे।
(3) इसके अलावा अध्येतावृत्ति की अवधि 2 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए ।
(4) अध्येतावृत्ति के प्राप्तकर्ता को पूर्णकालिक रूप से शोधकार्य में ही संलग्न होना चाहिए।
(5) चयन प्रक्रिया के अंतर्गत परिषद के अध्यक्ष द्वारा गठित खोज-सह-चयन समिति द्वारा गुरु का चयन किया जाएगा जिसकी अंतिम स्वीकृति शोध परियोजना समिति द्वारा प्रदान की जाएगी। इसके बाद गुरू द्वारा तीन ऐसे शोधार्थियों के संबंध में ICHR के समक्ष अनुशंसा प्रस्तुत की जाएगी जो आवश्यक शैक्षणिक योग्यता एवं अनुभव रखते हों। गुरू का शिष्य बनाने हेतु इन तीनों अभ्यर्थियों में से किसी एक अभ्यर्थी का चयन शोध परियोजना समिति द्वारा किया जाएगा।
(6) दोनों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे विषय पर एक प्रकाशन योग्य आलेख तैयार करें। इसके अलावा उनके आलेख प्रमुखतः परिषद के जर्नल में अथवा किसी अन्य प्रकाशन में प्रकाशित हों ।
(7) खंड 2 के अन्तर्गत गुरू/शिष्य को अध्येतावृत्ति प्राप्त होने की स्थिति में, घोषणा किए जाने की तिथि से 3 माह की अवधि तक इस अध्येतावृत्ति की मान्यता रहेगी तथा उक्त समयसीमा के भीतर प्राप्तकर्ता द्वारा पदभार ग्रहण ना किए जाने की स्थिति में वह अध्येतावृत्ति स्वतः समाप्त हो जाएगी। कुछ विशेष परिस्थितियों में अध्यक्ष उक्त अवधि समाप्त होने के उपरान्त भी इस अध्येतावृत्ति को पुनः मान्यता प्रदान कर सकते हैं। प्राप्तकर्ता द्वारा जवाब न दिए जाने की अवस्था में अध्येतावृत्ति का अधिनिर्णय स्वतः समाप्त हो जाएगा।
(8) किसी भी एक वर्ष के दौरान इन अध्येतावृत्तियों की संख्या 2 से अधिक नहीं होनी चाहिए तथा किसी भी समय यह संख्या 4 से अधिक नहीं होनी चाहिए ।
(9) शिष्य को दी जाने वाली अध्येतावृत्ति की नियमितता उसके अच्छे आचरण पर निर्भर करेगी तथा गुरू द्वारा शिष्य के संबंध में किसी भी प्रकार की विपरीत रिपोर्ट भेजे जाने की अवस्था में शिष्य की अध्येतावृत्ति पर रोक लगा दी जाएगी।
(10) गुरू एवं शिष्य के मध्य विवाद की स्थिति में अथवा इस नियमावली के किसी भी खंड की व्याख्या से संबंधित विवाद उत्पन्न होने की स्थिति में मामले को अध्यक्ष, ICHR के सम्मुख रखा जाएगा जिनका निर्णय अंतिम तथा बाध्य माना जाएगा।
(11) गुरू को प्रदान जा रही अध्येतावृत्ति की नियमितता शिष्य की अध्येतावृत्ति के साथ ही जारी रहेगी तथा इस संबंध में कोई भी निर्णय शोध परियोजना समिति द्वारा यथास्थिति को देखते हुए लिया जाएगा।
(12) उपरोक्त खंडों मे वर्णित समस्त बिन्दुओं के अतिरिक्त, शोध परियोजना समिति पूर्णरूप से प्राधिकृत होगी कि वह गुरूकुल अध्येतावृत्ति को सुचारू रूप से जारी रखने हेतु उपरोक्त नियमों एवं शर्तों में स्वविवेक का प्रयोग करते हुए आवश्यक संशोधन करे।