दक्षिण क्षेत्र में अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों के आयोजन और प्रलेखन और पुस्तकालय सेवाएँ प्रदान करने के लिए दक्षिण क्षेत्रीय केन्द्र की स्थापना 6 फरवरी, 1998 को की गई और इसका उद्घाटन भारत सरकार के तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री श्री एस.आर.बोम्मई ने किया। पिछले कुछ वर्षों के दौरान दक्षिण क्षेत्रीय केन्द्र एक श्रेष्ठ और उपयोगी संस्थान बन गया है। वास्तव में, केन्द्र का पुस्तकालय बंगलुरू में सर्वाधिक विकसित ऐतिहासिक शोध पुस्तकालय है। केन्द्र ने विविध शैक्षणिक गतिविधियों यथा संगोष्ठियों, सम्मेलनों, कार्यशालाओं और विभिन्न ऐतिहासिक सभाओं में प्रतिभागिता के माध्यम से शोधकर्ताओं के साथ गहन संबंध बनाए हैं।
केन्द्र को नियोजन एवं विकास हेतु परामर्श देने के लिए प्रख्यात इतिहासकारों की एक सलाहकार समिति बनाई गई है।
दक्षिण क्षेत्रीय केन्द्र के ध्येय
पिछले 20 वर्षों के दौरान केन्द्र ने संगोष्ठी/कार्यशाला/सम्मेलन/प्रदर्शनी और पुस्तक चर्चा के रूप में 100 से ज्यादा गतिविधियाँ आयोजित की हैं। परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के कार्यक्रम के अंतर्गत विशिष्ट विदेशी कलाकारों ने केन्द्र का दौरा किया। केन्द्र ने उनके इस दौरे से लाभ उठाया। इसके अलावा विषय-विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और व्यवसायिकों के साथ बैठक करके और क्षेत्र के शोधार्थियों के लिए उनके विशिष्ट क्षेत्र में संगोष्टी/व्याख्यान का आयोजन करके भी अन्य विदेशी शोधकर्ताओं के अनुभवों का लाभ उठाया।
दान के आधार पर केन्द्र ने निम्नलिखित पुस्तकों का संग्रह अर्जित किया है :-
श्री तिरूमाले रंगाचारी
श्री सि.एस. पाटिल
डेक्कन कॉलेज, पुणे
कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़
कन्नड़ विश्वविद्यालय, हाम्पी
कर्नाटक शोध संस्थान, धारवाड़
वीरशिवा अध्ययन समस्ते, गडग
श्रीनिवास मंदीराम, बंगलुरू
डॉ. गायत्री देवी
नेशनल आरकाइव्स, नई दिल्ली
द मिथिक सोसायटी, बंगलुरू
डॉ. अनुराधा, बंगलुरू
डॉ. जी.एस.गाई, बंगलुरू
श्री आद्या रामाचारी
डॉ. बासवराज कलगुडी, बंगलुरू
सेन्ट्रल साहित्य अकादेमी, बंगलुरू
श्री नंजुन्दा शेट्टी
डॉ. बालासुब्रमण्यन
प्रो. के.पड्डाया, पुणे
केन्द्र का एक सुसज्जित पुस्तकालय है जिसमें जेस्टोर और अन्य ऑनलाईन डाटाबेस सुविधाएँ है। अब तक 14000 पुस्तकें संदर्भ हेतु उपलब्ध है। दक्षिण क्षेत्रीय केन्द्र इतिहास व सम्बद्ध विषयों में बहुत से भारतीय, विदेशी और क्षेत्रीय पत्रिकाएँ सबस्क्राईब करता है।
केन्द्र ने अब तक 30 पुस्तकें प्रकाशित की हैं जिसमें एपीग्राफिल श्रृंखला, व्याख्यान श्रृंखला कार्यवाही के खंड, कन्नड़ की अनुवादित पुस्तकें और एपीग्राफिया कारनेटिका वाल्यूम के सी.डी.रोम शामिल है।
बंगलुरू के इतिहास के बारे में कन्नड़ और अंग्रेजी में विस्तृत जानकारी डॉ.एस.के.अरूणी निदेशक (जे पी एल) द्वारा तैयार की गई है जिसे परिषद् को यथोचित आभार प्रकट करते हुए महात्मा गाँधी रोड, बंगलुरू के मेट्रो स्टेशन पर बी एम आर सी एल द्वारा प्रदर्शित किया गया है।