भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् का पुस्तकालय-सह-प्रलेखन केन्द्र ज्ञान के भण्डार का एक मूल केन्द्र है जो शोधार्थियों को शोध एवं शैक्षणिक क्रियाकलापों में उनकी सहायता करता है। भा.इ.अ.प. का पुस्तकालय इतिहास एवं उससे संबंधित विषयों के क्षेत्र में समृद्ध पुस्तकों तथा विविध प्रकार की सामग्री रखता है। यह पुस्तकालय इतिहास के क्षेत्र में अनुसंधान एवं अध्ययन हेतु एक प्रतिष्ठित पुस्तकालय है। पुस्तकालय-सह-प्रलेखन केन्द्र की स्थापना 1972 ई. में हुई थी। वास्तव में आज यह 21वीं सदी का संसाधन केन्द्र है। इस पुस्तकालय में मुद्रित एवं इलेक्ट्रॉनिक (सॉफ्ट कॉपी) रूप में सामग्रियों का उचित संग्रह है, इसके इलेक्ट्रॉनिक आंकड़ा कोश एवं पाठ्यपुस्तकों को भी उपयोग में लाया जा सकता है, यह अन्य पुस्तकालयों से पाठ्य-सामग्री मंगाने के साथ ही अध्ययन हेतु स्थान भी उपलब्ध कराता है। साथ ही शोधार्थियों के पठन संबंधी आवश्यकताओं को सदैव पूर्ण करने का प्रयास करता है। पुस्तकालय शोध कार्य हेतु, शिक्षण एवं सीखने हेतु, प्रिंट रूप, डिजिटल कॉपी के रूप में उपलब्ध करवाने के लिए स्रोतों का चयन, संग्रह, संरक्षण, प्रबंधन करती है। पुस्तकालय में कम्प्यूटर सुविधा को बेहतर बनाना प्राथमिक कार्य है क्यूंकि बदलते परिवेश में जरूरतों के अनुसार प्रौद्योगिकी तक पहुँच आवश्यक है । पुस्तकालय अपने पारंपरिक भौतिक सामग्रियों के साथ-साथ स्वयं को डिजिटल प्रक्रिया एवं सेवा सुविधा में जोड़ रहा है। अन्य संदर्भ सामग्रियों के साथ महत्वपूर्ण इतिहास पत्रिकाओं के 35,000 लेख पुस्तकालय सॉफ्टवेयर के माध्यम से विद्वानों के अध्ययन के लिए उपलब्ध हैं। पुस्तकालय के ग्रंथों को डिजिटल एवं भौतिक दोनों रूपों में संरक्षित करने एवं शोधार्थियों तक पहुंचाने के कार्य को पुस्तकालय के कर्मचारियों ने अपनी मेहनत एवं लगन से सफलतापूर्वक पूर्ण किया है। डेलनेट का सदस्य होने के नाते इसका एक फायदा है कि यह दिल्ली के विभिन्न पुस्तकालयों, देश के अन्य हिस्सों के कुछ पुस्तकालयों से इंटर लाइब्रेरी-लोन के आधार पर किताबें अध्ययन हेतु उधार ले सकता है ।
पुस्तकालय रविवार एवं राजपत्रित अवकाश को छोड़कर प्रति दिन प्रातः 9:30 से सायं 5:30 तक खुला रहता है तथा पुस्तकालय स्वयं के सुधार के लिए विद्वानों के सुझावों का हमेशा स्वागत करता है।